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सिविल कानून
‘एक्स’ प्लेटफॉर्म पर यूरोपीय संघ द्वारा 140 मिलियन यूरो का जुर्माना: डिजिटल जवाबदेही और पारदर्शिता
«15-Dec-2025
स्रोत: द हिंदू
परिचय
दिसंबर 2025 में, यूरोपीय आयोग ने डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA) के अधीन पारदर्शिता दायित्त्वों का उल्लंघन करने के लिये ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर 140 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना ‘एक्स’ की विवादास्पद ब्लू चेक मार्क सत्यापन प्रणाली से संबंधित है, जिसे नियामकों ने उपयोगकर्त्ताओं को प्रवंचित करने और ऑनलाइन विश्वास को कम करने वाला पाया। यह यूरोपीय संघ के ऐतिहासिक तकनीकी विनियमन ढाँचे के अधीन किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के विरुद्ध पहली बड़ी कार्रवाई है। एलोन मस्क ने यूरोपीय संघ की आलोचना करते हुए इसे समाप्त करने की मांग की।
‘एक्स’ पर जुर्माना क्यों लगाया गया?
सत्यापन प्रणाली में परिवर्तन:
- मस्क द्वारा अक्टूबर 2022 में अधिग्रहण से पहले, ट्विटर उल्लेखनीय हस्तियों को प्रमाणीकरण क्रेडेंशियल के रूप में नीले चेक मार्क प्रदान करता था, जिससे उपयोगकर्त्ताओं को वैध खातों को सत्यापित करने और प्रतिरूपण को रोकने में सहायता मिलती थी।
- 44 अरब डॉलर में ट्विटर खरीदने के बाद, मस्क ने ‘एक्स’ ब्लू सब्सक्रिप्शन के माध्यम से ब्लू चेक मार्क बेचकर इसे पूरी तरह परिवर्तित कर दिया। कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान की परवाह किये बिना सत्यापन खरीद सकता था, जिसका अर्थ यह था कि उपयोगकर्त्ता अब सत्यापित लोक हस्तियों और संदाय करने वाले ग्राहकों के बीच अंतर नहीं कर सकते थे।
मुख्य उल्लंघन:
- उपयोगकर्ता को प्रवंचित करना: ‘एक्स’ द्वारा पुनःडिज़ाइन की गई प्रणाली के कारण यह स्पष्ट रूप से पहचानना कठिन हो गया कि कौन विज्ञापनों के लिये संदाय कर रहा है तथा उनसे जुड़े संभावित जोखिम क्या हैं। इस प्रकार, यह व्यवस्था डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA) के अंतर्गत निर्धारित पारदर्शिता दायित्त्वों को पूरा करने में विफल रही।
- शोधकर्त्ताओं की पहुँच पर प्रतिबंध: ‘एक्स’ ने शोधकर्त्ताओं की सार्वजनिक डेटा तक पहुँच को सीमित कर दिया और विज्ञापन की पारदर्शिता को अस्पष्ट कर दिया, जिससे गलत सूचना के पैटर्न के स्वतंत्र विश्लेषण में बाधा उत्पन्न हुई।
- उपयोगकर्त्ता सुरक्षा में कमी: पहचान सत्यापन के बिना सत्यापन सेवाओं की बिक्री के परिणामस्वरूप प्रतिरूपण करने वाले व्यक्तियों, कपटपूर्ण खातों तथा दुष्प्रचार को बढ़ावा मिला, जिससे उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
- आयोग ने ‘एक्स’ को नीले चेक चिह्नों की प्रवंचित प्रकृति के बारे में उपयोगकर्त्ताओं को सूचित करने के लिये 60 दिन और पारदर्शिता के विवाद्यक को संबोधित करने वाली कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिये 90 दिन का समय दिया।
डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA), 2022 क्या है?
- डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA) यूरोपीय संघ का 2022 का ऐतिहासिक विनियमन है जो सुरक्षित डिजिटल स्थान बनाता है जहाँ उपयोगकर्त्ता अधिकारों की रक्षा की जाती है। इसके प्रमुख प्रावधानों में सम्मिलित हैं:
- पारदर्शिता संबंधी दायित्त्व: बहुत बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को सामग्री मॉडरेशन, एल्गोरिदम और विज्ञापन प्रणालियों, जिनमें सत्यापन प्रणाली भी सम्मिलित है, के संबंध में पारदर्शिता प्रदान करनी होगी।
- प्रवंचित प्रथाओं से सुरक्षा: ऐसी प्रथाओं पर रोक लगाता है जो उपयोगकर्त्ताओं को प्रवंचित करती हैं या सामग्री की प्रामाणिकता के बारे में सूचित निर्णय लेने को कमजोर करती हैं।
- डेटा तक पहुँच: प्लेटफार्मों को शोधकर्त्ताओं और नियामकों को सार्वजनिक डेटा तक पहुँच प्रदान करनी होगी।
- प्रवर्तन: आयोग गंभीर उल्लंघनों के लिये वैश्विक वार्षिक कारोबार के 6% तक का जुर्माना अधिरोपित कर सकता है।
- राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जुर्माने को अनुचित बताते हुए कहा कि यूरोप अमेरिकी नवाचार को निशाना बना रहा है।
- उपराष्ट्रपति जेडी वैंस और FCC अध्यक्ष ब्रेंडन कार सहित ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने इसकी आलोचना करते हुए इसे अमेरिकी कंपनियों को निशाना बनाने वाला नियामक अतिक्रमण बताया।
- एलोन मस्क ने जुर्माने के बाद से यूरोपीय संघ की कई आलोचनाएँ पोस्ट की हैं, जिसमें उन्होंने इस कार्रवाई को उत्पीड़न करार दिया है और सुझाव दिया है कि यूरोपीय संघ आयोग को नियुक्ति के बजाय सीधे निर्वाचित किया जाना चाहिये।
- यह अभी स्पष्ट नहीं है कि मस्क जुर्माने के विरुद्ध अपील करेंगे या अनुपालन के लिये ‘’एक्स की सत्यापन प्रणाली में संशोधन करेंगे।
- उपभोक्ता पर प्रभाव:
- सशुल्क सत्यापन प्रणाली ने उपयोगकर्त्ताओं की सत्यापित लोक हस्तियों और ग्राहकों के बीच, प्रामाणिक खातों और नकली खातों के बीच, और वैध सूचना स्रोतों और गलत सूचना फैलाने वालों के बीच अंतर करने की क्षमता को कमजोर कर दिया।
- इसके परिणामस्वरूप प्रतिरूपण, दुष्प्रचार के प्रसार तथा जन विमर्श में हेरफेर के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं, विशेष रूप से चुनाव जैसे संवेदनशील एवं महत्त्वपूर्ण अवसरों के दौरान, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं एवं जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
भारत का प्रौद्योगिकी विनियमन परिदृश्य
भारत डिजिटल प्लेटफॉर्मों को विनियमित करने के लिये अपना ढाँचा विकसित कर रहा है, जिसमें ‘एक्स’ जुर्माने जैसे मामलों से सबक लिया जा रहा है।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000: यह भारत की प्राथमिक विधि है जो इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य, डिजिटल हस्ताक्षर और साइबर अपराध को नियंत्रित करती है, यद्यपि यह आधुनिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पहले का है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम, 2021: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सम्यक् तत्परता संबंधी दायित्त्व अधिरोपित करते है, जिसमें शिकायत निवारण तंत्र, सामग्री मॉडरेशन और संदेश भेजने वालों की पहचान सुनिश्चित करना सम्मिलित है।
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023: भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करता है, डेटा संबंधी दायित्त्वों, सहमति की आवश्यकताओं और भंग के लिये 250 करोड़ रुपए तक के दण्ड का प्रावधान करता है।
- प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को प्रतिस्थापित करने के लिये विकसित किया जा रहा व्यापक विधान, जो एल्गोरिथम जवाबदेही, प्लेटफॉर्म दायित्त्व, उपयोगकर्त्ता सुरक्षा और प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं को संबोधित करता है, साथ ही भाषा विविधता और डिजिटल साक्षरता अंतराल जैसे भारतीय संदर्भों के अनुकूल भी है।
- ‘एक्स’ का मामला भारत के नियामकों के लिये स्पष्ट विधिक ढाँचे, सार्थक दण्ड और शक्तिशाली तकनीकी कंपनियों के विरुद्ध निरंतर प्रवर्तन की आवश्यकता के संबंध में एक मूल्यवान पूर्व निर्णय पेश करता है।
निष्कर्ष
यूरोपीय संघ द्वारा ‘एक्स’ पर लगाया गया 140 मिलियन यूरो का जुर्माना सार्वजनिक चर्चा को आकार देने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्मों के विनियमन में एक मौलिक परिवर्तन को दर्शाता है। जब सत्यापन पहचान प्रमाणित करने के बजाय क्रय-योग्य हो जाता है, तो उपयोगकर्त्ता आधिकारिक स्रोतों और धोखेबाजों के बीच अंतर नहीं कर पाते, शोधकर्त्ता प्लेटफॉर्म की कार्यप्रणाली का अध्ययन नहीं कर पाते और लोकतांत्रिक चर्चा में हेरफेर की संभावना बढ़ जाती है।
जैसे-जैसे प्लेटफॉर्म वैश्विक संवाद के लिये सार्वजनिक मंच के रूप में कार्य करने लगे हैं, प्रश्न यह नहीं है कि उन्हें विनियमित किया जाना चाहिये या नहीं, अपितु यह है कि नवाचार और जवाबदेही के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA) का दृष्टिकोण—पारदर्शिता को अनिवार्य बनाना, उपयोगकर्त्ता अधिकारों की रक्षा करना और प्लेटफॉर्म को जवाबदेह ठहराना—लोकतांत्रिक डिजिटल शासन के लिये एक मॉडल प्रस्तुत करता है।
भारत और अन्य लोकतांत्रिक देशों के लिये जो प्लेटफॉर्म नियमों को विकसित कर रहे हैं, यह मामला स्पष्ट विधिक ढाँचे, सार्थक दण्ड और कठोर प्रवर्तन की आवश्यकता को दर्शाता है। डिजिटल युग में ऐसे प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है जो उपयोगकर्त्ताओं को प्रवंचित करने के बजाय उन्हें सशक्त बनाएं, और जवाबदेही सुनिश्चित करना विश्वास बनाए रखने और डिजिटल लोक स्थानों की अखंडता को बनाए रखने के लिये आवश्यक है।